शिव की गुप्त कथाएँ: आदि योगी के रहस्यमय रहस्य #1
महादेव के अनसुने और दुर्लभ किस्सों में डूब जाइए—ऐसी कहानियाँ जो उनकी दिव्यता, करुणा और रहस्यमय लीलाओं को प्रकट करती हैं। शिव के पृथ्वी पर गुप्त आगमन से लेकर उनकी अदृश्य चमत्कारी घटनाओं तक, ये दस अविश्वसनीय कथाएँ आपको भोलेनाथ से और अधिक जोड़ेंगी।
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Sachin K Chaurasiya
2/22/20251 min read


भगवान शिव, जो काल और समय से परे हैं, जिन्हें त्रिनेत्रधारी, महाकाल, और नटराज कहा जाता है, केवल संहारक ही नहीं, बल्कि करुणा और भक्ति के प्रतीक भी हैं। शिव महादेव की कई प्रसिद्ध कथाएँ सुनी और सुनाई जाती हैं, लेकिन कुछ ऐसी रहस्यमयी कथाएँ भी हैं, जो प्राचीन ग्रंथों में छुपी हुई हैं और केवल कुछ ही संत-मुनियों को ज्ञात हैं। ये कथाएँ हमें शिव की दिव्यता, प्रेम और अलौकिक खेलों का परिचय कराती हैं। आइए जानते हैं भगवान शंकर के ऐसे ही दस दुर्लभ और रोमांचक प्रसंग।
जब शिवजी हँसे और ब्रह्मांड कांप उठा
एक बार महर्षि भृंगी केवल शिवजी की उपासना करना चाहते थे और माता पार्वती की उपेक्षा कर रहे थे। महादेव ने उन्हें समझाने के लिए अर्धनारीश्वर का रूप धारण कर लिया, जिससे यह सिद्ध हो कि शिव और शक्ति एक ही हैं। किंतु भृंगी ने फिर भी केवल शिव के ही रूप की पूजा की। इस पर भगवान शंकर ज़ोर से हँसे, और उनकी “अट्टहास” (गर्जना के साथ हँसी) से संपूर्ण ब्रह्मांड गूंज उठा। यह हँसी इतनी शक्तिशाली थी कि भृंगी के अहंकार का अंत हो गया, और उन्होंने माता पार्वती को भी प्रणाम किया। तभी से शिव की हँसी ब्रह्मांड में ॐ की ध्वनि के रूप में गूँजती रहती है।
जब शिवजी काशी छोड़कर चले गए
मान्यता है कि भगवान शिव सदा काशी में निवास करते हैं, लेकिन एक बार वे अपनी लीलाओं के कारण काशी छोड़कर एक भक्त के पास चले गए। विद्या नामक एक भक्त शिव दर्शन के लिए तरस रहे थे, परंतु गरीबी के कारण वे काशी नहीं जा सके। महादेव स्वयं वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण कर उनके गाँव पहुँचे और महीनों तक उनके साथ रहे। एक दिन वह अचानक लुप्त हो गए, लेकिन वहाँ एक दिव्य शिवलिंग प्रकट हो गया, जो आज भी रात में हल्की नीलिमा के साथ प्रकाशित होता है। इसे केवल सच्चे भक्त ही देख पाते हैं।
जब शिवजी ने भिक्षुक का रूप धारण किया
एक बार शिवजी ने अपनी व्याघ्रचर्म (बाघ की खाल) खो दी और बिना किसी वस्त्र के भिक्षुक बनकर पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे। वह अलग-अलग गाँवों में गए और देखा कि लोग भिखारियों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं। कुछ ने प्रेम से भोजन दिया, तो कुछ ने उनका अपमान किया। जब वे कैलाश लौटे, तो बोले – "मनुष्य की सच्ची संपत्ति उसका हृदय (हृदय की शुद्धता) होती है, न कि उसकी भौतिक वस्तुएँ।" यही कारण है कि सच्चे साधु-संत आज भी सिर्फ़ भस्म और साधारण वस्त्र धारण करते हैं।
हिमालय के रक्षक शिव
एक बार एक संन्यासी हिमालय में खो गया। उसने भगवान शिव का ध्यान किया, तब एक अज्ञात गाइड उसके सामने आया और उसे सुरक्षित स्थान तक पहुँचा दिया। जब संन्यासी ने उसे धन्यवाद देना चाहा, तो वह व्यक्ति अदृश्य हो गया और वहाँ सिर्फ़ एक त्रिशूल रह गया। तभी उसे समझ आया कि स्वयं महादेव ही उसकी रक्षा के लिए आए थे। यह कहा जाता है कि आज भी यदि कोई हिमालय में खो जाता है, तो एक अदृश्य शक्ति उसे सही मार्ग दिखाती है।
चंद्रमा का रहस्य
भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने इसे क्यों धारण किया? चंद्रदेव को दक्ष के श्राप से मुक्ति चाहिए थी, इसलिए उन्होंने शिव की शरण ली। महादेव ने उन्हें अपने जटाओं में स्थान दिया और कहा – "हर बार जब तुम क्षीण होओगे, मैं तुम्हें पुनः ऊर्जा दूँगा।" तभी से जब चंद्रमा घटता है, ऐसा माना जाता है कि महादेव उससे कहते हैं – "पुनः उठो, मेरे बालक।" पूर्णिमा की रात ध्यान करने वालों को आज भी हवा में यह दिव्य संदेश सुनाई देता है।
जब शिव ने एक असुर को मोक्ष दिया
गजासुर नामक एक असुर ने शिव की कठोर तपस्या की और वरदान में माँगा कि महादेव उसके उदर में निवास करें। शिव ने सहर्ष यह वरदान दिया। लेकिन जब देवताओं और माता पार्वती ने शिवजी से वापस आने की प्रार्थना की, तब उन्होंने अपनी महाकाल शक्ति से गजासुर को आत्मज्ञान कराया। गजासुर ने अपनी भूल मानी और महादेव से मोक्ष माँगा। भगवान शिव ने उसे गज-लिंग का रूप दिया, जिसे आज भी गजेश्वर महादेव के नाम से पूजा जाता है।
जब शिव ने अपने भक्त के लिए रोया
अरुणाचल नामक एक भक्त ने वर्षों तक शिव की तपस्या की, लेकिन शिवजी का दर्शन न पाकर वह दुखी होकर आत्महत्या करने चला। जैसे ही वह जल में कूदने को था, उसे एक स्वर सुनाई दिया – "वत्स, मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ।" जब उसने मुड़कर देखा, तो स्वयं शिव वहाँ खड़े थे और उनकी आँखों में आँसू थे। "क्या तुमने सोचा था कि मैं तुम्हें यूँ ही छोड़ दूँगा?" यह कहकर शिवजी ने उसे गले लगाया और उसे आत्मज्ञान प्रदान किया।
जब शिव एक कुत्ते के रूप में आए
भैरव नामक एक भक्त को कुछ डाकू मारने आए। उसने शिवजी से रक्षा की गुहार लगाई, और तभी एक विशाल काला कुत्ता प्रकट हुआ जिसने डाकुओं को भगा दिया। अगली सुबह जब भैरव ने देखा, तो वहाँ केवल एक त्रिशूल गड़ा हुआ था। तभी उसे एहसास हुआ कि स्वयं महादेव उसकी रक्षा करने आए थे। तभी से कुछ मंदिरों में काले कुत्तों को भगवान शिव का रूप मानकर भोजन कराया जाता है।
शिव की गुप्त गुफा
हिमालय में एक रहस्यमयी गुफा है, जहाँ माना जाता है कि भगवान शिव ने हजारों वर्षों तक तपस्या की थी। यह गुफा सामान्य आँखों से अदृश्य है और केवल वे ही इसे देख सकते हैं जिनका हृदय पवित्र होता है। साधु-संतों का कहना है कि कभी-कभी वहाँ से ॐ की ध्वनि सुनाई देती है, जैसे स्वयं महादेव ध्यान में लीन हों।
जब शिव ने अपनी तीसरी आँख दान की
एक युवा संन्यासी ने शिवजी से अनुरोध किया कि वह भी त्रिनेत्र (तीसरी आँख) का दर्शन कर सके। महादेव ने उसे आशीर्वाद देकर अपनी तीसरी आँख उसके मस्तिष्क पर स्थापित कर दी। लेकिन वह शक्ति सहन न कर पाने के कारण वह तुरंत ऊर्जा में विलीन हो गया और शिवजी में समा गया। तब से कुछ मंदिरों में शिवजी के ललाट पर एक चमकता हुआ रत्न दिखाई देता है, जिसे शिव की दिव्य दृष्टि का प्रतीक माना जाता है।


भगवान शिव के ये दुर्लभ प्रसंग हमें बताते हैं कि वे केवल संहार के देवता नहीं, बल्कि करुणा, भक्ति और अद्भुत लीलाओं के स्वामी भी हैं। उनके रहस्य, उनकी हँसी, उनका प्रेम, और उनकी कृपा अनंत हैं।
🙏🙏🙏💕💕💕 हर हर महादेव! 💕💕💕🙏🙏🙏
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